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बीए सेमेस्टर-3 मनोविज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2647
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-3 मनोविज्ञान सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- समाज मनोविज्ञान में क्षेत्र अध्ययन विधि से आप क्या समझते हैं? इसके प्रकार तथा गुण दोषों पर प्रकाश डालिए।

सम्बन्धित लघु प्रश्न
1. क्षेत्र प्रयोगात्मक विधि का वर्णन कीजिये।
2. क्षेत्र अध्ययन विधि के प्रकारों का वर्णन कीजिये।
3. क्षेत्र अध्ययन विधि के सोपानों अथवा चरणों का वर्णन कीजि
ये।

उत्तर-

क्षेत्र अध्ययन विधि
(Field Study Method)

समाज मनोविज्ञान में क्षेत्र अध्ययन एक महत्वपूर्ण विधि है। जनसंख्या वृद्धि, हड़ताल, दंगा आदि कुछ ऐसी सामाजिक समस्याएँ हैं जिनका संतोषजनक अध्ययन प्रयोग विधि, निरीक्षण विधि आदि की सहायता से नहीं किया जा सकता है। ऐसी समस्याओं के अध्ययन के लिये क्षेत्र विधि का प्रयोग किया जाता है।

क्षेत्र अध्ययन विधि की परिभाषा
(Definition of Field Study Method)

कैण्डलैण्ड (Kandland, 1968) के अनुसार, “प्राकृतिक परिवेश में उत्पन्न होने वाले व्यवहार का स्वाभाविक रूप में ज्यों का त्यों प्रेक्षण करना ही क्षेत्र अध्ययन हैं।

करलिंगर (Kerlinger, 1986) के अनुसार “ क्षेत्र अध्ययन एक ऐसा अप्रयोगात्मक वैज्ञानिक शोध है जो वास्तविक सामाजिक परिस्थिति में समाजशास्त्रीय, मनोवैज्ञानिक एवं शैक्षिक चरों में अन्तः क्रियाओं एवं उसके सम्बन्धों की खोज करता है।"

 

 

क्षेत्र अध्ययन के प्रकार
(Types of Field Study)

काज (Katz, 1953) ने क्षेत्र अध्ययन के दो मुख्य प्रकार बताये हैं।

1. अन्वेषणात्मक क्षेत्र अध्ययन (Research Field Study) - इस अध्ययन में चरों (Variable) के क्षेत्र के मध्य सम्बन्ध (Relation) तथा क्षेत्र परिस्थिति में परिवर्तन का अध्ययन करते हैं। जैसे यह ज्ञात करना कि समाज के लोगों में पूर्वाग्रह का उस समाज की आर्थिक स्थिति व्यक्तित्व विकास, धर्म आदि पर क्या प्रभाव पड़ता है।

2. परिकल्पना-परीक्षण क्षेत्र अध्ययन (Hypothesis Testing Field Study) - इस अध्ययन में शोधकर्ता चरों के सम्बन्ध में एक प्राक्कल्पना बनाता है एवं इसकी सत्यता-असत्यता की जाँच करता है, जैसे- यह परिकल्पना बनाना कि हिंदू लोग अधिक धार्मिक प्रवृत्ति रखते हैं, अध्ययन करके प्राप्त परिणामों के आधार पर इस परिकल्पना को स्वीकृत या अस्वीकृत कर सकते हैं।

क्षेत्र अध्ययन के सोपान अथवा चरण
(Steps of Field Study)

काज (Katz, 1953) ने क्षेत्र अध्ययन के प्रमुख सोपान या चरण बतायें हैं -

1. प्रारम्भिक योजना (Preliminary Planning) : अध्ययन के प्रारम्भ करने से पहले अध्ययन का क्षेत्र, उसका उद्देश्य, अस्थाई योजना, क्रियान्वित करने में लगने वाली समय सीमा निर्धारित कर लेते हैं। योजना की अन्तिम रूपरेखा अन्वेषी कार्यक्रम (Scouting Expedition) के परिणाम प्राप्त होने के बाद निश्चित करते हैं।

2. अन्वेषी कार्यक्रम (Scouting Expedition) : प्रारम्भिक तैयारी के पश्चात् अध्ययनकर्ता सामान्य परिस्थिति में बार-बार प्रेक्षण कर महत्वपूर्ण कारकों को जानने का प्रयास करता है। इसके लिये एक से अधिक अन्वेषणों का प्रयोग किया जा सकता है।

3. शोध अभिकल्प का निर्माण (Formulation of Research Design ) : अन्वेषी कार्यक्रम के पश्चात् आंकड़ों एवं सूचनाओं के आधार पर क्षेत्र अध्ययन की योजना को अन्तिम रूप देते हैं। इसके बाद शोध अभिकल्प का निर्माण करते हैं।

4. शोध उपकरणों का पूर्वपरीक्षण एवं प्रक्रिया (Pretesting of Research Instruments and Procedures) : व्यवहार को मापने के लिये विभिन्न प्रकार के परीक्षणों. सूचियों एवं प्रश्नावली का प्रयोग करते हैं।

5. सम्पूर्ण क्षेत्र अध्ययन ( Full Scale Field Operation) : आवश्यक उपकरणों, परीक्षणों एवं अन्य साधनों को निश्चित कर लेने के पश्चात् सम्बन्धित क्षेत्र में जाकर समस्या से सम्बन्धित विषय पर लोगों की राय प्राप्त की जाती है।

6. सामग्री का विश्लेषण (Analysis of Materials) : अध्ययन से प्राप्त सूचनाओं का विश्लेषण करते हैं जैसे - आवृत्ति वितरण तैयार करना, मध्यमान एवं सहसंबंध आदि ज्ञात करना।

7. व्याख्या ( Interpretation) : आंकड़ों के विश्लेषण से प्राप्त परिणामों की व्याख्या की जाती है। इसके अन्तर्गत यह जानने का प्रयास करते हैं कि समस्या का क्या कारण है? ऐसा क्यों हुआ? इससे अध्ययन की सार्थकता बढती है।

क्षेत्र अध्ययन के लाभ
(Merits of Field Study)

क्षेत्र अध्ययन के प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं-

1. जिन व्यावहारिक समस्याओं का अध्ययन प्रयोग विधि से नहीं कर सकते हैं, उन समस्याओं का अध्ययन क्षेत्र अध्ययन विधि की सहायता से सरलता से कर सकते हैं।
2. क्षेत्र अध्ययन में वास्तविकता एवं स्वाभाविकता का गुण होता है।

क्षेत्र अध्ययन के दोष
(Demerits of Field Study)

क्षेत्र अध्ययन के प्रमुख दोष निम्नलिखित हैं-

1. इससे प्राप्त परिणामों में परिशुद्धता एवं विश्वसनीयता में कमी होती है।
2. इस विधि में यह समस्या अनुभव होती है कि लोग लम्बी अवधि तक सक्रिय रूप से सहयोग नहीं देते हैं।
3. इसमें नियन्त्रण का गुण नहीं पाया जाता है। साथ ही चरों को प्रहस्तित (Manipulate) नहीं किया जा सकता है। अतः चरों के बीच कारण और प्रभाव सम्बन्ध स्थापित करने में कठिनाई होती है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- समाज मनोविज्ञान के कार्यक्षेत्र की व्याख्या करें।
  2. प्रश्न- सामाजिक व्यवहार के स्वरूप की व्याख्या कीजिए।
  3. प्रश्न- समाज मनोविज्ञान की परिभाषा दीजिए। इसके अध्ययन की दो महत्वपूर्ण विधियों पर प्रकाश डालिए।
  4. प्रश्न- समाज मनोविज्ञान की प्रयोगात्मक विधि से क्या तात्पर्य है? सामाजिक परिवेश में इस विधि की क्या उपयोगिता है?
  5. प्रश्न- समाज मनोविज्ञान की निरीक्षण विधि का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिये।
  6. प्रश्न- समाज मनोविज्ञान में सर्वेक्षण विधि के महत्व का मूल्यांकन कीजिए।
  7. प्रश्न- समाज मनोविज्ञान में क्षेत्र अध्ययन विधि से आप क्या समझते हैं? इसके प्रकार तथा गुण दोषों पर प्रकाश डालिए।
  8. प्रश्न- समाज मनोविज्ञान को परिभाषित कीजिए। इसकी प्रयोगात्मक तथा अप्रयोगात्मक विधियों की विवेचना कीजिए।
  9. प्रश्न- अन्तर- सांस्कृतिक शोध विधि क्या है? इसके गुण-दोषों का वर्णन कीजिए।
  10. प्रश्न- समाज मनोविज्ञान की आधुनिक विधियों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  11. प्रश्न- सामाजिक व्यवहार के अध्ययन की विभिन्न विधियों का वर्णन कीजिए।
  12. प्रश्न- समाज मनोविज्ञान के महत्व पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  13. प्रश्न- अर्ध-प्रयोगात्मक विधि का वर्णन कीजिये।
  14. प्रश्न- क्षेत्र अध्ययन विधि तथा प्रयोगशाला प्रयोग विधि का तुलनात्मक अध्ययन कीजिये।
  15. प्रश्न- समाजमिति विधि के गुण-दोष बताइये।
  16. प्रश्न- निरीक्षण विधि पर टिप्पणी लिखिये।
  17. प्रश्न- व्यक्ति प्रत्यक्षीकरण का अर्थ स्पष्ट करते हुए उसके स्वरूप को समझाइए।
  18. प्रश्न- प्रभावांकन के साधन की व्याख्या कीजिए तथा यह किस प्रकार व्यक्ति प्रत्यक्षीकरण में सहायक है? स्पष्ट कीजिए।
  19. प्रश्न- दूसरे व्यक्तियों के बारे में हमारे मूल्यांकन पर उस व्यक्ति के व्यवहार का क्या प्रभाव पड़ता है? स्पष्ट कीजिए
  20. प्रश्न- व्यक्ति प्रत्यक्षीकरण से आप क्या समझते हैं? यह जन्मजात है या अर्जित? विवेचना कीजिए।
  21. प्रश्न- चित्रीकरण करना किसे कहते हैं?
  22. प्रश्न- अवचेतन प्रत्यक्षण किसे कहते हैं?
  23. प्रश्न- सामाजिक प्रत्यक्षण पर संस्कृति का क्या प्रभाव पड़ता है?
  24. प्रश्न- छवि निर्माण किसे कहते हैं?
  25. प्रश्न- आत्म प्रत्यक्षण किसे कहते हैं?
  26. प्रश्न- व्यक्ति प्रत्यक्षण में प्रत्यक्षणकर्ता के गुणों पर प्रकाश डालिए।
  27. प्रश्न- प्रत्यक्षपरक सुरक्षा किसे कहते हैं?
  28. प्रश्न- सामाजिक अनुभूति क्या है? सामाजिक अनुभूति का विकास कैसे होता है?
  29. प्रश्न- स्कीमा किसे कहते हैं? यह कितने प्रकार का होता है?
  30. प्रश्न- सामाजिक संज्ञानात्मक के तहत स्कीमा निर्धारण की प्रक्रिया कैसी होती है? व्याख्या कीजिए।
  31. प्रश्न- बर्नार्ड वीनर के गुणारोपण सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
  32. प्रश्न- केली के सह परिवर्तन गुणारोपण सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  33. प्रश्न- क्या स्कीमा स्मृति को प्रभावित करता है? अपने विचार व्यक्त कीजिए।
  34. प्रश्न- क्या सामाजिक अनुभूति में सांस्कृतिक मतभेद पाए जाते हैं?
  35. प्रश्न- स्कीम्स (Schemes) तथा स्कीमा (Schema) में क्या अन्तर है? स्पष्ट कीजिए।
  36. प्रश्न- मनोवृत्ति से आप क्या समझते हैं? इसके घटकों को स्पष्ट करते हुए इसकी प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  37. प्रश्न- अभिवृत्ति निर्माण की प्रक्रिया को स्पष्ट करते हुए अभिवृत्ति में परिवर्तन लाने के उपायों का वर्णन कीजिए।
  38. प्रश्न- मनोवृत्ति परिवर्तन में हाईडर के संतुलन सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  39. प्रश्न- संज्ञानात्मक अंसवादिता से आप क्या समझते हैं? फेसटिंगर ने किस तरह से इसके द्वारा मनोवृत्ति परिवर्तन की व्याख्या की?
  40. प्रश्न- मनोवृत्ति की परिभाषा दीजिए। क्या इसका मापन संभव है? अभिवृत्ति मापन की किसी एक विधि की विवेचना कीजिए।
  41. प्रश्न- मनोवृत्ति मापन में लिकर्ट विधि का मूल्यांकन कीजिए।
  42. प्रश्न- मनोवृत्ति मापन में बोगार्डस विधि के महत्व का वर्णन कीजिए।
  43. प्रश्न- अभिवृत्ति मापन में शब्दार्थ विभेदक मापनी का वर्णन कीजिए।
  44. प्रश्न- अभिवृत्ति को परिभाषित कीजिए। अभिवृत्ति मापन की विधियों का वर्णन कीजिए।
  45. प्रश्न- मनोवृत्ति को परिभाषित कीजिए। मनोवृत्ति के निर्माण को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।
  46. प्रश्न- अन्तर्वैयक्तिक आकर्षण क्या है? इसके स्वरूप तथा निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
  47. प्रश्न- अभिवृत्ति के क्या कार्य हैं? लिखिए।
  48. प्रश्न- अभिवृत्ति और प्रेरणाओं में अन्तर समझाइये।
  49. प्रश्न- अभिवृत्ति मापन की कठिनाइयों का उल्लेख कीजिए।
  50. प्रश्न- थर्स्टन विधि तथा लिकर्ट विधि का तुलनात्मक अध्ययन कीजिए।
  51. प्रश्न- उपलब्धि प्रेरक पर प्रकाश डालिए।
  52. प्रश्न- अन्तर्वैयक्तिक आकर्षण में वैयक्तिक कारकों की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  53. प्रश्न- “अन्तर्वैयक्तिक आकर्षण होने का एक मुख्य आधार समानता है।" विवेचना कीजिए।
  54. प्रश्न- आक्रामकता को स्पष्ट कीजिए एवं इसके प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  55. प्रश्न- क्या आक्रामकता जन्मजात होती है? एक उपयुक्त सिद्धान्त द्वारा इसकी आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  56. प्रश्न- कुंठा आक्रामकता सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  57. प्रश्न- क्या आक्रामकता सामाजिक रूप से एक सीखा गया व्यवहार होता है? एक उपयुक्त सिद्धान्त द्वारा इसकी आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  58. प्रश्न- आक्रामकता के प्रमुख सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
  59. प्रश्न- कुंठा-आक्रामकता सिद्धान्त को बताइए।
  60. प्रश्न- आक्रामकता को उकसाने वाले प्रमुख कारकों का वर्णन कीजिए। अपने उत्तर के पक्ष में प्रयोगात्मक साक्ष्य भी दें।
  61. प्रश्न- मानवीय आक्रामकता के वैयक्तिक तथा सामाजिक निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
  62. प्रश्न- समाजोपकारी व्यवहार का अर्थ और इसके निर्धारकों पर एक निबन्ध लिखिए।
  63. प्रश्न- प्रतिसामाजिक व्यवहार का स्वरूप तथा विशेषताएँ बताइये।
  64. प्रश्न- सहायतापरक व्यवहार के सामाजिक व सांस्कृतिक निर्धारक का वर्णन कीजिए।
  65. प्रश्न- परोपकारी व्यवहार को किस प्रकार उन्नत बनाया जा सकता है?
  66. प्रश्न- सहायतापरक व्यवहार किसे कहते हैं?
  67. प्रश्न- सहायतापरक व्यवहार के निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
  68. प्रश्न- अनुरूपता से क्या आशय है? अनुरूपता की प्रमुख विशेषताएँ बताते हुए इसको प्रभावित करने वाले कारकों का उल्लेख कीजिए।
  69. प्रश्न- अनुरूपता के सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
  70. प्रश्न- पूर्वाग्रह की उपयुक्त परिभाषा दीजिये तथा इसकी प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए। पूर्वाग्रह तथा विभेद में अन्तर बताइये।'
  71. प्रश्न- सामाजिक पूर्वाग्रहों की प्रवृत्ति की संक्षिप्त रूप में विवेचना कीजिए। इसके हानिकारक प्रभावों को किस प्रकार दूर किया जा सकता है? उदाहरण देकर अपने उत्तर की पुष्टि कीजिये।
  72. प्रश्न- पूर्वाग्रह कम करने की तकनीकें बताइए।
  73. प्रश्न- पूर्वाग्रह से आप क्या समझते हैं? इसकी विशेषताओं एवं स्रोतों का वर्णन कीजिए।
  74. प्रश्न- आज्ञापालन (Obedience) पर टिप्पणी लिखिये।
  75. प्रश्न- दर्शक प्रभाव किसे कहते हैं?
  76. प्रश्न- पूर्वाग्रह की प्रकृति एवं इसके संघटकों की विवेचना कीजिए।
  77. प्रश्न- पूर्वाग्रह के प्रमुख प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  78. प्रश्न- पूर्वाग्रह के नकारात्मक प्रभाव का वर्णन कीजिये।
  79. प्रश्न- पूर्वाग्रह के विकास और सम्पोषण में निहित प्रमुख संज्ञानात्मक कारकों का वर्णन कीजिए।
  80. प्रश्न- पूर्वाग्रह एवं विभेदन को कम करने के लिये कुछ कार्यक्रमों की व्याख्या कीजिए।
  81. प्रश्न- समूह समग्रता से आप क्या समझते हैं? समूह समग्रता को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारकों का वर्णन कीजिये।
  82. प्रश्न- समूह मानदंड क्या है? यह किस प्रकार से समूह के लिए कार्य करते हैं?
  83. प्रश्न- समूह भूमिका किस प्रकार अपने सदस्यों के लिए कार्य करती है? स्पष्ट कीजिए।
  84. प्रश्न- निवैयक्तिकता से आप क्या समझते हैं? प्रयोगात्मक अध्ययनों से निवैयक्तिकता की प्रक्रिया पर किस तरह का प्रकाश पड़ता है?
  85. प्रश्न- “सामाजिक सरलीकरण समूह प्रभाव का प्रमुख साधन है। व्याख्या कीजिए।
  86. प्रश्न- “निर्वैयक्तिता में व्यक्ति अपनी आत्म- अवगतता खो देता है। इस कथन की व्याख्या कीजिए।
  87. प्रश्न- समूह के प्रकार बताइये।
  88. प्रश्न- सामाजिक श्रमावनयन से आप क्या समझते हैं? इसके कारणों का उल्लेख कीजिए और इसे किस तरह से कम किया जा सकता है? विवेचना कीजिए।
  89. प्रश्न- आज्ञापालन (Obedience) पर टिप्पणी लिखिये।
  90. प्रश्न- समूह निर्णय पर टिप्पणी लिखिये।
  91. प्रश्न- सामाजिक श्रमावनयन पर टिप्पणी लिखिये।
  92. प्रश्न- समूह की संरचना पर टिप्पणी लिखिये।

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